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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः

aiṃ hrīṃ klīṃ chāmuṇḍāyai vichchē jvala haṃ saṃ laṃ kṣaṃ phaṭ svāhā ॥ 5 ॥

देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि

श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः

मनचाहा फल पाने के लिए ये पाठ कर here रहे हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें. देवी की पूजा में पवित्रता बहुत मायने रखती है.

देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जंभनादिनी ।

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